नवरात्र के पंचम दिवस माँ अम्बे के स्कंदमाता स्वरुप की पूजा की जाती हैं। ऐसा माना जाता है की उनके पूजन से सुख समृद्धि के साथ-साथ संतान की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं नवरात्र के पंचम दिवस माँ की पूजा कैसे करें तथा पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है।
स्कन्द माता का स्वरूप
नवरात्र के पंचम दिवस में स्कंदमाता की आराधना की जाती है। माँ की चार भुजाएं हैं जिनमें से दो भुजाओं पर कमल सुशोभित है। माँ के एक हाथ पर भगवान कार्तिकेय बाल रूप में बैठे हुए हैं जबकि दूसरे हाथ से माँ आशीर्वाद देते हुए नज़र आती हैं। माँ का वाहन सिंह है मगर अपने इस रूप में वे कमल पर विराजमान है।
नवरात्र के पंचम दिवस पुजन का शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आरंभ- सुबह 12 बजकर 10 मिनट से शुरू
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि समाप्त- रात 10 बजकर 34 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक
राहुकाल- सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक
पूजन विधिं
नवरात्र के पंचम दिवस माँ दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश का पूजन करें। इसके बाद माँ दुर्गा व उनके स्वरुप का पूजन आरंभ करें। सर्वप्रथम जल का आचमन करें। तत्पश्चात माँ को पुष्प अर्पण करें। इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, अक्षत आदि लगाएं। फिर एक पान में सुपारी, इलायची, बताशा और लौंग रखकर चढ़ा दें। इसके बाद मां स्कंदमाता को भोग में फल में केला और इसके अलावा मिठाई चढ़ा दें। इसके बाद जल अर्पित कर दें। इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें। इसके बाद दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में दुर्गा मां के साथ स्कंदमाता की आरती करें।