बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष कर पंचमी के दिन मनाई जाती है। इस दिन कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। कला और शिक्षा जगत के लोगों के लिए यह दिन बहुत खास होता है और वे लोग विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। कुछ लोगों के मन में बसंत पंचमी की तिथि को लेकर उलझन है।
इनकी जानकारी के लिए हम बता रहे हैं कि बसंत पंचमी इस साल 26 जनवरी को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से आपकी संतान सदा तरक्की करती है और आपके घर में भी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, व मन एकाग्रचित होता है।
बसंत पंचमी को लेकर पौराणिक मान्यता है कि इस दिन ब्रह्माजी के मुख से मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी दिन मां सरस्वती ने प्रकट होकर इस सृष्टि को ध्वनि प्रदान की थी। इस दिन से बसंत ऋतु के आरंभ के साथ ही सुहावना मौसम आरंभ हो जाता है और वातावरण में एक अलग तरह की मिठास और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है। जिन लोगों के घर में पढ़ने वाले बच्चे हैं, उन लोगों को बसंत पंचमी के दिन अपने घर में सरस्वती पूजन का आयोजन अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से उनकी संतान तीव्र बुद्धि वाली बनती है और करियर में सफलता व तरक्की प्राप्त करती हैं। बंगाली समाज के लोगों में सरस्वती पूजन बहुत धूमधाम से किया जाता है।
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
माघ मास की पंचमी यानी कि सरस्वती पंचमी का आरंभ 25 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 34 मिनट पर होगा और इसका समापन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 पर होगा। इसलिए बसंत पंचमी की पूजा उदया तिथि की मान्यता के अनुसार 26 जनवरी को मनाई जाएगी। 26 जनवरी को बसंत पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 7 मिनट से दिन में 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
बसंत पंचमी की पूजाविधि
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती के साथ ही रति और कामदेव की पूजा भी की जाती है। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। पीले चावल, पीले फल और पीली मिठाई के साथ मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करें और सरस्वती वंदना करें। इस दिन कामदेव और रति की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आनंद बना रहता है। पूजा में रोली, मौली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले या सफेद रंग का फूल, पीली मिठाई आदि चीजों का प्रयोग करें।