तीन बार विश्व कप रिकॉर्ड जीतने वाले ब्राजील के महान फुटबॉलर पेले ने 82 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. उनकी बेटी केली नेसिमेंटो ने गुरुवार रात इंस्टाग्राम पर इस खबर की पुष्टि की थी. वहीं उनके एजेंट जो फ्रैगा ने भी पेले की मृत्यु की पुष्टि की. सदी के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक, पेले के नाम अपने 21 साल के करियर के दौरान कुल 1,363 मैचों में 1283 गोल करने का विश्व रिकॉर्ड है, जिसमें देश के लिए 92 मैचों में उनके द्वारा किए गए 77 गोल भी शामिल हैं.
अटैकिंग मिडफील्डर के रूप में खेलते थे पेले
ब्राजील के इस महान फुटबॉल खिलाड़ी का जन्म ’23 अक्टूबर 1940′ को हुआ था. पेले आमतौर पर फारवर्ड के रूप में या अटैकिंग मिडफील्डर के रूप में खेलते थे. एक बच्चे के रूप में पेले एक युवा दस्ते में शामिल हुए, जिसे वाल्डेमार डी ब्रिटो द्वारा प्रशिक्षित किया गया था. डी ब्रिटो ब्राजील की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के पूर्व खिलाड़ी थे. पेले जब केवल 15 वर्ष के थे तो डी ब्रिटो ने पेले के परिवार को इस बात के लिए मना लिया कि वे पेले को घर छोड़ने की अनुमति दें दे ताकि वह सैंटोस फुटबॉल क्लब में फुटबॉल की ट्रेनिंग ले सकें.
16 साल की उम्र से भी पहले ही किया था अपना पहला गोल
पेले ने अपने अभ्यास के दौरान ही सभी को हैरान कर दिया. इससे पेले को ब्राजीलियाई क्लब सांतोस में खेलने का मौका मिला. पेले ने अपने करियर में काफी समय तक ब्राजीलियाई क्लब सांतोस का प्रतिनिधित्व किया. यहां उन्होंने नियमित फुटबॉलरों के साथ अभ्यास करना शुरू किया. उन्होंने 16 साल की उम्र से पहले ही अपना पहला गोल किया. इसके बाद उन्हें ब्राजील की नेशनल फुटबॉल टीम के लिए खेलने के लिए चुन लिया गया था क्योंकि वे लीग में गोल स्कोरिंग चार्ट में शीर्ष पर थे. पेले ने 1957 में 16 साल की उम्र में अर्जेंटीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मैच में डेब्यू किया था. उस समय उनकी उम्र महज 16 साल और 9 महीने थी और वे उम्र में ब्राजील के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे.
पहली बार 1958 के फीफा विश्व कप में दुनिया ने देखी पेले की प्रतिभा
फुटबॉल की दुनिया ने पहली बार 1958 फीफा विश्व कप में पेले की प्रतिभा देखी. यही वो समय था जब पूरी दुनिया पेले की कायल हो गई. उन्होंने इस दौरान सेमीफाइनल मुकाबले में फ्रांस के खिलाफ हैट्रिक बनाई और फिर मेजबान देश, स्वीडन के खिलाफ फाइनल में गोल दागे जिसमें 5-2 से ब्राजील को जीत मिली थी. केवल इतना ही नहीं 17 साल की उम्र में, पेले फीफा विश्व कप जीतने वाले सबसे कम उम्र के फुटबॉलर बने थे. 1962 का फीफा विश्व कप व्यक्तिगत रूप से पेले के लिए निराशाजनक रहा क्योंकि उस दौरान जांघ में चोट लगने के चलते उन्हें पहले दो मैचों के बाद टूर्नामेंट से बाहर रहना पड़ा और अपनी टीम को विश्व कप जीतते हुए देखना पड़ा. इसके बाद 1966 का फीफा विश्व कप में पेले ने ब्राजील के स्टार खिलाड़ी के रूप में कई चुनौतियों का सामना किया लेकिन इसी बीच वह घायल हो गए. ऐसी अवस्था में वे मैच नहीं खेल सके. पेले ने 1970 के विश्व कप मुकाबले के दौरान ब्राजील के लिए तीसरी बार विश्व कप की दावेदारी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. इस दौरान पेले ने करीब 12 गोल करके अपने विश्व कप करियर का अंत किया. बता दें पेले का स्टारडम पूरे 1960 के दशक में दिखा.
पेले के नाम दो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड
गौरतलब हो, पेले के नाम पर दो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हैं. पहला रिकॉर्ड तीन मौकों पर फीफा विश्व कप जीतने वाले एकमात्र फुटबॉलर के रूप में दर्ज है जबकि दूसरा रिकॉर्ड करियर में सबसे ज्यादा गोल करने वाले फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में दर्ज है. उन्होंने 1363 खेलों में 1283 करियर गोल किए.
FIFA के ‘प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’
पेले 1958, 1962 और 1970 में वर्ल्ड कप ट्रॉफी जिताने वाले एकमात्र खिलाड़ी रहे हैं. यही कारण है कि उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’ का तमगा मिला. तीन बार विश्व कप जीतने वाले पेले को साल 2000 में FIFA के ‘प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’ का नाम दिया गया था.
कोलन कैंसर से जूझ रहे थे पेले
बता दें, पेले के नाम से लोकप्रिय ‘एडसन अरांतेस डो नेसिमेंटो’ कुछ समय से कोलन कैंसर से जूझ रहे थे. हाल ही में, अस्पताल में रहने के दौरान उनकी कैंसर की दवा को नियंत्रित करने के दौरान उनकी स्वास्थ्य स्थिति खराब हो गई थी, डॉक्टरों ने इस सप्ताह की शुरुआत में ही इसकी घोषणा कर दी थी. उनकी बेटी केली नेसिमेंटो ने अस्पताल में पेले के शरीर पर उनके परिवार के हाथों की तस्वीर पोस्ट की और लिखा, हम जो कुछ भी हैं, वह आपकी बदौलत हैं. हम आपसे बहुत प्यार करते हैं. रेस्ट इन पीस.वहीं रोनाल्डो, जिन्होंने साल 2002 में ब्राजील को पांचवां विश्व कप खिताब जिताया, ने पेले को “अद्वितीय” बताया. प्रतिभावान, कुशल, रचनात्मक, उत्तम, बेजोड़… यह सार्वभौमिक सत्य है कि पेले से पहले फुटबॉल महज एक खेल था. उन्होंने सब कुछ बदल दिया. उन्होंने फुटबॉल को कला और मनोरंजन में बदल दिया.
जब पहली बार भारत आए थे पेले
सेलेकाओ (ब्राजील) को तीन विश्व कप खिताब जिताने वाले ब्राजीलियन, एक पेशेवर फुटबॉलर के रूप में जब अपने अंतिम वर्ष में थे तब उन्होंने भारत का दौरा किया था. उस दौरान कोलकाता के फुटबॉल के दीवानों ने इस मौके का जमकर फायदा उठाया था. विश्व के इस महान शख्स की सिर्फ एक झलक पाने के लिए लोगों ने क्या कुछ नहीं किया. इससे पहले लोगों ने उन्हें ज्यादातर टेलीविजन या खेल पत्रिकाओं के पन्नों में ही देखा था. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि लगभग 80,000 से अधिक दर्शकों ने पेले को देखने के लिए ईडन गार्डन्स को खचाखच भर दिया था.
यूं ही नहीं पेले ने नाम के साथ जुड़ा ‘फुटबॉल का राजा’
फुटबॉल इतिहासकार नोवी कपाड़िया ने अपनी किताब ‘बेयरफुट टू बूट्स’ में इस घटना का जिक्र किया है. वह कभी नहीं भुलाए जा सकेंगे और उनकी यादें सभी फुटबॉल प्रेमियों के मन में हमेशा रहेंगी. यूं ही नहीं पेले ने नाम के साथ ‘फुटबॉल का राजा’ जुड़ा है. इसके पीछे उनके करियर की वो दास्तान जुड़ी है जिसने उन्हें यह उपाधि दिलाई. फुटबॉल के बड़े जादूगर पेले अब नहीं रहे, लेकिन उनका जादू हमेशा जिंदा रहेगा.