नोएडा में सौरभ सिंह नाम के युवा बिज़नेसमैंन ने सोशल मीडिया पर एक पत्र जारी कर उत्तर प्रदेश पुलिस नोएडा पुलिस को टैग किया है पत्र में उन्होंने कहा है कि उन पर और उसके साथ के लोगो नजर रखी जा रही है । और अगर उसके बारे में और गतिविधियां दिखाई दे तो उसका दंड उसे भुगतना पड़ सकता है और वह धमकी देने वाले को जब तक जानेगा तब तक वो उसकी पहुंच से बहुत दूर होगा ।
सौरभ सिंह ने लिखा कि अन्तिम चांस देने के नाम पर मुझे कल 06.02.23 को गुमनाम ईमेल प्राप्त हुआ है, जिसमें मुझे व मेरे ग्रुप के सारे लोगों को मिटा दिये जाने की धमकी दी है इसी सन्दर्भ में कुछ माह पूर्व मेरे घर का CCTV सिस्टम क्षतिग्रस्त किये जाने तथा उसके बाद फोन पर तथा सोशल मीडिया के माध्यम से मुझे मिल रही जान से मारने की धमकियों के सम्बंध में थानाप्रभारी 113, नोएडा तथा उच्चाधिकारियों को अनेक सबूत सहित शिकायतें दी गई हैं । उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर सम्मिट से ठीक पहले इस तरह की धमकी के आने के बाद नोएडा पुलिस के सामने चुनौती खड़ी हो गई है ।
पार्ट-1
— Saurabh Singh (@SaurabhSingh) February 7, 2023
अन्तिम चांस देने के नाम पर मुझे कल 06.02.23 को गुमनाम ईमेल प्राप्त हुआ है, जिसमें मुझे व मेरे ग्रुप के सारे लोगों को मिटा दिये जाने की धमकी दी है @noidapolice @Uppolice @DCP_Noida @DCPCentralNoida
मुझे मिल रही धमकियों का संज्ञान लेने की कृपा करें और पार्ट 2 देखें नीचे pic.twitter.com/FPVjz8qQoF
सौरभ सिंह ने अपने तीसरे ट्वीट में मीडिया के कुछ पत्रकारों पर भी आरोप लगाए हैं उन्होंने लिखा कि मुझे लगातार कुछ पत्रकारों के माध्यम से ब्लैकमेल व बदनाम किये जाने का कुत्सित प्रयास भी हुआ है | मुझे मिल रही धमकियों और ब्लैकमेलिंग की अगर गहनता से जांच की जाय तो सूत्रधार का पता चल सकता है।
इस प्रकरण पर सौरभ सिंह के दावे में सच्चाई भी नजर आती है क्योंकि जिले के एक समाचार पत्र ने बीते दिनों सौरभ सिंह को एक ऐसे मामले में मुख्य आरोपी बताकर भ्रामक समाचार प्रकाशित किया गया था । समाचार और संदर्भ प्रकरण की गहनता से जांच के बाद पता लगा कि सौरभ सिंह उक्त मामले में भी सीधे आरोपी नहीं थे और जिस FIR के नाम पर उनको फ्रेम किया गया उस FIR पर पुलिस पहले ही एफआर रिपोर्ट एफआर लगा चुकी थी जिसकी सुनवाई न्यायालय में होनी थी और यह माना गया कि ऐसे समाचार के जरिए पुलिस और न्यायालय दोनों को प्रभावित करने की कोशिश की गई ।
रोचक बात ये थी कि समाचार में F.i.r. में लिखी जानकारी से उलट सौरभ सिंह को ना सिर्फ धोखेबाज बताया गया बल्कि उनको नेताओं को सुरा सुंदरी सप्लाई करने वाला भी बता दिया गया जिसको सीधे-सीधे पत्रकारिता के नैतिक नियमों का उल्लंघन भी कहा जा सकता है या फिर किसी एजेंडे के तहत लिखी लिखा गया समाचार माना जा सकता है ।
इस मामले में सौरभ सिंह और उस प्रकरण में सामने आए पक्षकार के पुराने ट्विट्स को खंगाला तो यह पता लगा कि वह झगड़ा किसी कंपनी के आपस में साझेदारों के बीच था जिसमें कंपनी के निदेशको ने बोर्ड मीटिंग कर एक निदेशक के खिलाफ पैसे के गबन के आरोप लगाए थे और एफआईआर की थी, जिसमे निदेशक के खिलाफ चार्ज शीट हो गई थी । बाद में आरोपी निदेशक ने अपने जानकर सौरभ सिंह से मामले को सुलझवाने की कोशिश की जिस पर सौरभ सिंह ने व्हाट्सएप पर जवाब दिया कि वह बाकी बोर्ड मेंबर से रिक्वेस्ट कर सकते हैं लेकिन सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं क्योंकि वह उनकी कंपनी में कोई प्रभाव नहीं रखते हैं ।
माना जा रहा है कि इसी के बाद आरोपी निदेशक ने सौरभ को दोषी माना और कंपनी के बाकी निदेशको के साथ साथ सौरभ सिंह को तथा एक अन्य महिला एचआर कर्मचारी को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज की जिसके जिसके लिए उन्हें कोर्ट से 156/3 में अनुमति मिली । क्योंकि उन पर चार्जशीट लगी होने के कारण पुलिस सीधे शिकायत दर्ज नही कर सकती थी । कोर्ट से अनुमति के बाद पुलिस ने जनवरी के प्रथम सप्ताह में जांच कर फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी, जिसकी इसी बीते शनिवार 4 फरवरी को सुनवाई होनी थी और माना जा रहा है कि इस सुनवाई को प्रभावित करने के लिए ऐसे समाचार प्रकाशित करवाया गया सौरभ सिंह की छवि धूमिल हो और जिसका जिक्र सौरव सिंह अपने ट्वीट में कर चुके हैं।